मिर्गी (Epilepsy)
मिर्गी एक मस्तिष्क विकार है, जिसमें व्यक्ति के मस्तिष्क में असाधारण रूप से विद्युत गतिविधियां होने लगती हैं। इस स्थिति में व्यक्ति के शरीर में अचानक से झटके लगना, भय महसूस होना और किसी व्यक्ति को प्रतिक्रिया न दे पाना आदि लक्षण होने लगते हैं। मिर्गी के कारण का अभी सटीक रूप से पता नहीं लग पाया है, लेकिन कुछ स्थितियों में यह जेनेटिक भी हो सकता है। इसके इलाज में आमतौर पर एंटी-एपिलेप्टिक मेडिकेशन, स्टिमुलेशन थेरेपी और सर्जरी आदि शामिल हैं। समय पर इसका इलाज न होने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
मिर्गी क्या है
मिर्गी एक प्रकार का ब्रेन डिसऑर्डर है, जिसमें बार-बार मस्तिष्क में असाधारण रूप से विद्युत गतिविधियां होती हैं। मिर्गी का दौरा पड़ने के दौरान प्रमुख व्यक्ति के सोचने व हिलने-ढुलने की क्रिया प्रभावित हो जाती है। मिर्गी के इन एपिसोड्स को आमतौर पर जनरलाइज्ड सीजर, फोकल सीजर, कंबाइंड जनरलाइज्ड एंड फोकल सीजर और सीजर ऑफ अननोन टाइप के नाम से जाना जाता है। मिर्गी आमतौर पर मस्तिष्क का विकास सामान्य रूप से न होने, मस्तिष्क में किसी प्रकार की क्षति होने या मस्तिष्क संबंधी अन्य किसी रोग के कारण होती है। क्योंकि ये स्थितियां मस्तिष्क की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को प्रभावित कर देती हैं। हालांकि, कई बार अचानक शराब छोड़ने, डायबिटीज या बुखार के कारण भी मिर्गी का दौरा पड़ सकता है, लेकिन ऐसे में व्यक्ति को मिर्गी रोग से ग्रसित नहीं माना जाता है। किसी भी व्यक्ति को मिर्गी रोग से ग्रसित सिर्फ तब ही माना जाता है, जब उसे दो बार मिर्गी के दौरे पड़ चुके होते हैं।
मिर्गी के लक्षण
दौरे पड़ना ही मिर्गी का सबसे प्रमुख लक्षण होता है, जो आमतौर पर कुछ मिनट के लिए रह सकता है। हालांकि, मिर्गी के दौरान विकसित होने वाले लक्षण प्रमुख रूप से इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि पूरा मस्तिष्क या फिर कौन सा हिस्सा मिर्गी से प्रभावित हुआ है। मिर्गी के प्रमुख प्रकारों के अनुसार उनसे होने वाले लक्षणों को निम्न बताया गया है।
प्राइमरी जनरलाइज्ड सीजर के लक्षण
इसे टोनिक-क्लोनिक सीजर या ग्रैंड मल सीजर के रूप में भी जाना जाता है, जिससे होने वाले लक्षणों में निम्न शामिल हैं -बेहोश होनाअचानक से नीचे गिर जानाकुछ देर के लिए सांस न ले पानाशरीर में असाधारण रूप से झटके लगनामल-मूत्र को नियंत्रित न कर पानाये लक्षण कुछ मिनट तक रहते हैं और इन लक्षणों के जाने के बाद भी व्यक्ति को कुछ मिनटों से लेकर घंटों तक उलझन, थकावट व कमजोरी महसूस होती है।
फोकल सीजर के लक्षण
यह मस्तिष्क के किसी एक हिस्से में होने वाली मिर्गी होती है, जिससे विकसित होने वाले लक्षणों में निम्न शामिल हैं -जी मिचलानामुंह का स्वाद बिगड़ना या दुर्गंध आनाशरीर के किसी हिस्से में असाधारण रूप से झटके लगनाअचानक से भय, क्रोध व अन्य भावनात्मक लक्षण होनाआमतौर पर इन लक्षणों के दौरान व्यक्ति जाग रहा होता है और उसे यह भी पता हो सकता है कि उसके साथ क्या हो रहा है।
कॉम्प्लेक्स पार्शल सीजर
इस मिर्गी का दौरा पड़ने के दौरान भी व्यक्ति को पता होता है कि क्या हो रहा है, लेकिन इस समय वह कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पाता है। इससे होने वाले लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं -हाथों को बार-बार एक ही दिशा में हिलानाफोकस न कर पानाहोठों को चबानाबिना किसी उद्देश्य के चलना या कोई अन्य क्रिया करना
मिर्गी के कारण
ज्यादातर मामलों में मिर्गी के सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है। हालांकि, निम्न कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में बताया गया है, जो मिर्गी के दौरे पड़ने का कारण बन सकती हैं -
मस्तिष्क में ट्यूमरमस्तिष्क में चोट लगनास्ट्रोकमस्तिष्क के रोग (जैसे अल्जाइमर रोग)मस्तिष्क में संक्रमण (जैसे मेनिनजाइटिस)शीशा विषाक्तताइम्यून डिसऑर्डरकेमिकल या मेटाबॉलिक स्तर प्रभावित होनानशीले पदार्थों का सेवन करनाअत्यधिक शराब पीनाअनुवांशिक समस्याएंजन्मजात रोग
मिर्गी के जोखिम कारक
मस्तिष्क में किसी प्रकार की चोट लगने या बीमारी होने के कारण कुछ लोगों में मिर्गी रोग होने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे लोगों में कुछ कारक मिर्गी होने का खतरा बढ़ा सकते हैं -पर्याप्त मात्रा में आहार न लेनानशीले पदार्थों का सेवन करनाशराब पीनाथकान रहनाठीक से सो न पानाअत्यधिक तनावइसके अलावा यदि मिर्गी से ग्रस्त कोई व्यक्ति डॉक्टर द्वारा दी गई मिर्गी की दवाएं समय पर नहीं ले पा रहा है, तो उसे भी मिर्गी के दौरे पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
मिर्गी की रोकथाम
ज्यादातर मामलों में डॉक्टर मिर्गी के कारण का पता नहीं लगा पाते हैं। हालांकि, कुछ निश्चित मामलों में यह रोग माता-पिता से बच्चे को होता है, जिसे जेनेटिक कंडीशन कहा जाता है। जिन लोगों को मिर्गी होने का अधिक खतरा है, उन्हें निम्न चीजों से दूर रहना चाहिए -
शराब या अन्य किसी नशीले पदार्थ का सेवन करनाएलर्जीकैफीन का सेवनपर्याप्त नींद न लेनातनावबुखार या उल्टीकब्ज या दस्तकई बार भोजन न करनाआंखों में रोशनी की चमक लगना (धूप या बल्ब)हार्मोन का संतुलन प्रभावित होनादवाएं बीच में छोड़ना या ज्यादा दवाएं लेना
मिर्गी का निदान
मिर्गी की शुरुआत में ही इसका निदान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि माइग्रेन और बेहोश होने जैसी स्थितियों के लक्षण भी इससे मिलते-जुलते होते हैं। अधिकतर मामलों में मिर्गी का निदान तब किया जाता है, जब व्यक्ति को कम से कम दो बार मिर्गी के दौरे आ लेते हैं। मिर्गी का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्न की जांच करते हैं -
दौरे किस समय पड़ते हैंकिस गतिविधि के दौरान दौरे पड़ते हैंमिर्गी के दौरान कैसे महसूस हो रहा हैडॉक्टर मिर्गी की पुष्टि करने के लिए निम्न टेस्ट कर सकते हैं -ब्लड टेस्टइलेट्रेएंसेफेलोग्राम (ईईजी)एमआरआई स्कैनवीडियो ईईजीइलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)ब्रेन स्कैनपेट स्कैनएसपीईसीटी स्कैन
मिर्गी का इलाज
मिर्गी का इलाज आमतौर पर मिर्गी का दूसरा दौरा आने के बाद ही शुरू किया जाता है। हालांकि, अगर डॉक्टर को लगता है कि मरीज को मिर्गी होने का खतरा है, तो पहले दौरे के बाद भी इलाज शुरू किया जा सकता है। मिर्गी के इलाज में आमतौर पर निम्न शामिल है -
एंटी-एपिलेप्टिक ड्रग - इन दवाओं का इस्तेमाल मिर्गी को रोकने के लिए किया जाता है, जो मस्तिष्क में विद्युत गतिविधियों को रोक देती हैं। हर व्यक्ति की स्थिति के अनुसार उसको अलग मात्रा में दवा की आवश्यकता पड़ती है और मरीज के लिए उचित दवा का पता लगाने के लिए डॉक्टर कई बार अलग-अलग खुराक देकर देखते हैं। ऐसा करने से डॉक्टर मरीज को उतनी ही खुराक देते हैं, जो बिना किसी साइड इफेक्ट्स के मिर्गी के दौरे आने से रोकती रहे।वेगस नर्व स्टीमुलेशन - इस तकनीक में गर्दन में मौजूद वेगस तंत्रिका को इलेक्ट्रिक एक्टिविटी की मदद से स्टीमुलेट किया जाता है, जिससे मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि रुक जाती है। इसमें व्यक्ति को एक खास प्रकार का डिवाइस लगाकर रखना पड़ता है, जो वेगस नर्व से जुड़ा होता है।सर्जरी - इसमें सर्जिकल प्रोसीजर की मदद से मस्तिष्क के उस हिस्से को निकाल दिया जाता है, जिसके कारण मस्तिष्क में असामान्य इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी हो रही हैं। सर्जरी सिर्फ तब ही की जाती है, जब दवाएं काम न कर पाएं और सर्जरी से मस्तिष्क के उस हिस्से को निकालना संभव हो।डीप ब्रेन स्टिमुलेशन - इस ट्रीटमेंट प्रोसीजर को आमतौर पर सिर्फ तब ही किया जाता है जब दवाएं काम न कर पाएं और सर्जरी संभव न हो। इसमें मस्तिष्क के कई हिस्सों पर इलेक्ट्रोड लगा दिए जाते हैं और साथ ही सर्जरी प्रोसीजर की जाती है। इस तकनीक में मस्तिष्क के किसी ऐसे हिस्से को नियमित रूप से हल्की-हल्की विद्युत आवेग (Electrical impulses) दी जाती हैं। इस थेरेपी की मदद से मिर्गी के दौरे पड़ने के मामले कम हो जाते हैं, लेकिन इसकी मदद से स्थिति का पूरी तरह से इलाज नहीं किया जा सकता है।
मिर्गी की जटिलताएं
यदि समय पर मिर्गी की समस्या का इलाज न किया जाए तो इससे व्यक्ति का सामान्य जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो जाता है। इसके अलावा मिर्गी से निम्न जटिलताएं हो सकती हैं -
गिरकर चोट लगनाखाते समय दौरा पड़ने पर भोजन या पानी सांस की नलियों में पहुंच जानापढ़ते या कम करते समय ध्यान न लगा पानागंभीर मामलों व्यक्ति की मृत्यु हो जाना|