कोलराउस नियम क्या है और इसकी परिभाषा
कोलराउस नियम के बारे में
कोलराउस का नियम क्या है और अनुप्रयोग: किसी विद्युत अपघट्य की सीमांत मोलर चालकता को उसके धनायन एवं ऋणायन के अलग-अलग योगदान के योग के बराबर निरूपित कर सकते हैं। इसे ही हम कोलराउस का नियम कहते हैं।
अथवा किसी विद्युत अपघट्य की अनंत तनुता पर जब समस्त विद्युत अपघट्य आयनित हो जाता है तथा अंतर आयनिक आकर्षण नहीं के बराबर होता है तब विद्युत अपघट्य की आणविक चालकता का मान उसके धनायन और ऋणायन की अनंत तनुता पर आयन चालकताओं की योग के बराबर होता है। इसे ही हम कोलराउस का नियम कहते हैं।
λ∞m = xλ∞+ + yλ∞- λ∞+ = धनायन की आयनिक चालकता, λ∞- = ऋणायन की आयनिक चालकता, x = प्रति फार्मूला इकाई पर धनायन की संख्या, y = प्रति फार्मूला इकाई पर ऋणायन की संख्या।
कोलराउस के अनुप्रयोग
दुर्बल विद्युत की अनंत तनुता पर तुल्यांकी चालकता या आणविक चालकता का निर्धारण– इस नियम के उपयोग से दुर्बल विद्युत अपघट्य की तुल्यांकी चालकता और आणविक चालकता प्रबल विद्युत अपघट्य में धनायनो और ऋणायनो की चालकता के मानो का गणितीय समायोजन कर ज्ञात की जा सकती है।
A∞m(CH₃COOH) = A∞m(Hcl) + A∞m(CH₃COONa) – A∞m(Nacl), = A∞H⁺ + A∞cl⁻ + A∞Na⁺ + A∞CH₃Coo⁻ – A∞Na⁺ – A∞cl⁻, = A∞H⁺ + A∞CH₃Coo⁻
वियोजन की मात्रा– वियोजन की मात्रा (∝) = Ac (किसी सांद्रता पर तुल्यांकी चालकता)/A∞ (अनंत तनुता पर तुल्यांकी चालकता)
A∞ = A∞a + A∞b, A∞ = A∞₊ + A∞₋, ∝ = Ac/A∞₊ + A∞₋
अल्प विलेय लवण की विलेयता की गणना
कोलराउस के नियम की सहायता से अल्प विलेय लवण जैसे AgCl, BaSO₄, PbSO₄ इत्यादि की विलेयता की गणना की जा सकती है। यह लवण जल में बहुत कम घुलनशील होते हैं। जब इन्हें जल में घोला जाता है तब इनकी बहुत कम मात्रा पानी में घुलती है और बहुत सा लवण शेष रहता है।
अतः इनका संतृप्त विलयन बन जाता है। चूंकि लवण अल्प विलेय हैं इसलिए विलयन संतृप्त होते हुए भी तनु होता है और इसमें लवण पूर्ण रूप से आयनित अवस्था में होगा। इस विलयन की आणविक चालकता अनंत तनुता पर आणविक चालकता के बराबर होती है।