प्रकाश रसायन | अवशोषण नियम | लैम्बर्ट नियम | लैम्बर्ट बीयर नियम
प्रकाश रसायन (photo chemistry) :
रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसमें प्रकाश विकरणों के अवशोषण से संपन्न प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओं के वेग , उनकी क्रियाविधि आदि का अध्ययन किया जाता है फोटो केमिस्ट्री कहलाता है।
प्रकाश रसायन (photo chemistry) में उन रासायनिक परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है जिनमें प्रकाश विकिरणों के पराबैंगनी व दृश्य क्षेत्र (200nm से 800nm) की विकिरणों का अवशोषण किया जाता है।
वे रासायनिक अभिक्रिया जो प्रकाश विकिरणों के फोटोन के अवशोषण से संपन्न होती है , प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाएं कहलाती है।
इन reactions में अवशोषण अणु अथवा परमाणु फोटोन के अवशोषण से सक्रीय ऊर्जा प्राप्त करते है एवं उत्तेजित अवस्था में पहुंचकर अभिक्रिया सम्पन्न करते हैं।
विकिरणों की पदार्थ के साथ अन्तः क्रिया (interaction of reaction with matter)
द्रव्य के ऊपर प्रकाश विकिरणों को डाला जाता है तो यह तीन प्रकार से वितरित हो जाती है –
1. परावर्तित प्रकाश (reflected light)(Ir)
2. पारगत प्रकाश (transmitted light)(It)
3. अवशोषण प्रकाश (absorb light)(Ia)
अतः I0
= Ir + It + Ia
प्रकाश रसायन में फोटोन के अवशोषण से अभिकारक अणु उत्तेजित हो जाते है अतः प्रकाश रसायन में प्रकाश के अवशोषण भाग का ही अध्ययन किया जाता है।
अवशोषण नियम (absorb law ) :
1. लैम्बर्ट नियम (lambert law) : जब किसी समांगी अवशोषक माध्यम से एकवर्णी प्रकाश को गुजारा जाता है तो अवशोषक माध्यम की मोटाई के साथ विकिरणों की तीव्रता में हुई कमी आपतित विकिरणों की तीव्रता के समानुपाती होती है।
-dI/dx
∝ I
यहाँ ऋणात्मक चिन्ह विकिरणों में कमी को दर्शाता है।
dI/dx = -kI
dI/I = -kdx
यहाँ I = आपतित विकिरणों की तीव्रता में हुई कमी
K = अवशोषण स्थिरांक जिसका मान अवशोषक पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है। लैम्बर्ट बीयर नियम (beer lambert law) : यदि किसी एकवर्णी प्रकाश को किसी अवशोषक पदार्थ के विलयन में से गुजारा जाये तो इस अवशोषक विलयन में विकिरणों की तीव्रता में हुई कमी आपतित विकिरणों की तीव्रता के साथ साथ विलयन की सांद्रता के समानुपाती होता है।
-dI/dx
∝ I.C
dI/I = -k’Cdx
यहाँ k’ समानुपाती स्थिरांक है जिसे मोलर अवशोषण गुणांक कहते है , इसका मान अवशोषक पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।
c = सान्द्रता
लैम्बर्ट बीयर नियम सीमाएं :
1. आपतित प्रकाश 1 वर्णी होना चाहिए अर्थात आपतित विकिरणों की तरंग दैर्ध्य एक समान होनी चाहिए।
2. प्रयुक्त विलयन अत्यधिक तनु होना चाहिए।
3. प्रयोग के दौरान ताप स्थिर रहना चाहिए।
4. विलेय पदार्थ का विलयन में स्कंदन नहीं होना चाहिए। वरना प्रकाश का प्रकीर्णन हो जायेगा।
5. विलेय पदार्थ का विलयन में आयनन अथवा जल अपघटन नहीं होना चाहिए।