मेंढक का जीवन चक्र (life cycle of frog)
मेंढक क्या है?
यह उभयचर प्राणी है,मेंढक का त्वचा चिकना तथा चिपचिपा होता है,मेढ़क के त्वचा से म्यूकस (mucus) नामक रसायन का स्राव होता है,जो शरीर कि त्वचा को नम बनाये रखते है,तथा जीवाणुओं से रक्षा करते है|
मेंढक मे श्वसन प्रक्रिया फेफड़े के माध्यम से होता है|तथा चतुष्पद (fore limb and hind limb)पाया जाता है,जो जमीन पर फुदकने (कूदने) मे प्रयुक्त किया जाता है,चतुष्पद के निचले सतह पर झिल्ली नुमा सरंचना पायी जाती है,जो जल मे तैरने मे मदद करता है |
इसका जीवन काल बहुत छोटा होता है, इसकी जीभ अपने शिकार को पकड़ने के लिए अनुकूलित होते है|शिकारियों से बचने के लिए मेंढक वातावरण के प्रति अनुकूलित होते है |
पूरी दुनिया मे मेंढक कि बहुत सी प्रजातिया पाये जाते है,जिसके आकार,रंग,तथा बाह्य सरंचना भिन्न होते है|
मेंढक कहा रहते है?
यह उभयचर प्राणी है, अर्थात यह जल और थल दोनों जगह रह सकते है,यह ठण्डे खून वाले वाले होने के कारण मेढ़को को अपना तापमान नियंत्रित करने के लिए उपर्युक्त व्यवहार प्रक्रिया अपनाने पड़ते है, गर्म करने के लिये वे गर्म सतह या धुप मे जा सकते है|अक्सर मेढ़क दलदली स्थल पर दिखाई देता है|
मेंढक कि विभिन्न प्रजातियां दुनिया के भिन्न क्षेत्रो मे व्याप्त है,जिनमे भिन्नता देखने को मिलती है,
मेंढक का भोजन क्या है?
आमतौर पर वयस्क मेंढक मांसाहारी होता है, यह भोजन के रूप मे आर्थोपोडा (कीड़े,तितलियाँ,टिढ्ढे)व मोलस्क (घोंघा), स्लग आदि को खाते है|टेडपोल आमतौर पर शैवाल, डायटम को खाते है,
मेंढक के जीवन चक्र :-
इसे निम्न बिन्दुओ के अन्तर्गत समझेंगे :-
मेंढक का जीवन चक्र क्या है?
मेंढक का जीवन काल विभिन्न प्रावस्थाओ से होकर गुजरता है,अर्थात फीमेल मेढ़क के द्वारा अण्डे दिये जाते है,जिसे नर मेढ़क के शुक्राणुओं के द्वारा निषेचित किया जाता है, मेंढक मे बाह्य निषेचन कि प्रक्रिया पायी जाती है,अण्डे विकसित होकर टेडपोल मे परिवर्तित हो जाते है,जो पूँछ युक्त मछली के सामान दिखाई देते है|इसके पश्चात टेडपोल विकसित होकर फ्रॉगलेट (froglet)के रूप मे बदल जाते है, जिसके चतुष्पद, फेफड़े विकसित हो चुके होते है, ततपश्चात पूर्ण मेढ़क मे विकसित होता है| इसी तरह मेंढक का जीवन चक्र चलता रहता है |
मेंढक के जीवनकाल के चरण :-
मेंढक का जीवनकाल निम्न चरणों मे पूरा होता है :-
1.अण्ड प्रावस्था :-
मेंढक के भ्रूण (अण्डे) आमतौर पर जिलेटिनस (jelly) पदार्थ के कई परतो से घिरे होते है,भ्रूण इसी आवरण के अंदर विकसित होते है,इस अवस्था का अवधिकाल भिन्न प्रजातियों मे भिन्न होते है|
इसी अवस्था मे अण्डे विभिन्न प्रकार के आपदा जैसे :-बाढ़, मौसम मे परिवर्तन,बीमारियों तथा शिकारियों तथा परभक्षियो के कारण नष्ट हो जाते है,बाकि बचे हुए अण्डे विकसित होते है,और दूसरे चरण मे प्रवेश करते है|भिन्न प्रजातियों के मेंढक के अंडे कि आकृति तथा रंग भिन्न होते है|
2.tedpole (टेडपोल )
यह मेढ़क के जीवनकाल का दूसरा चरण है,अंडे से निकलने का पश्चात लार्वा को टेडपोल कहा जाता है,लार्वा अंडे से निकलते ही उसे(जिलेटिनस से बने आवरण) खा जाते है,इसका शरीर आमतौर पर अंडाकार तथा लंबवत पूँछ युक्त होता है, मेढ़क टेडपोल अवस्था मे पूर्ण रूप से जलीय जीव होते है, टेडपोल मे साँस लेने के लिए गिल्स (पहले आंतरिक गलफड़े तथा बाद मे बाह्य गलफड़े )तथा,मछली के सामान तैरने के लिए लंबवत पूँछ तथा पँख (fin) पाये जाते है |
टेडपोल आमतौर पर शाकाहारी ही होते है,जो शैवाल तथा उसके साथ ही गलफड़े के माध्यम से छन कर आये हुए डायटम भी शामिल होते है|लेकिन कुछ प्रजातियों मे टेडपोल अवस्था से ही मांसाहारी होते है,कीड़े,छोटे टेडपोल तथा छोटी मछलियों को खाते है|
कुछ ऐसे भी टेडपोल होते है,जो इस प्रावस्था मे शिकारियों के द्वारा खा लिए जाते है,तथा कुछ प्रजातियां विषैले होते है,और अपनी रक्षा शिकारियों से करते है|
3.फ्रॉगलेट (froglet)प्रावस्था
मेंढक के जीवनकाल के तीसरे चरण मे फेफड़े,अग्र व पश्च पाद (fore and hind limb) तथा अन्य अंगो के विकास होने लगते है,अब इसे froglet कहा जाता है|पँख विलुप्त हो जाते है,तथा पूँछ स्पष्ट रूप से दिखाई देते है,इसके भोजन वयस्क मेढ़क के सामान ही होते है|
4.वयस्क प्रावस्था
इस प्रावस्था मे मेंढक पूर्ण रूप से विकसित हो चूका होता है,स्थल मे रह सकता है,या जल मे रह सकता है|लगभग सभी प्रजातियों के वयस्क मेंढक मांसाहारी होते है,अकशेरुकी जीवो का शिकार करते है,जिनमे आर्थोपोड्स (कीड़े),मोलस्क (घोंघे),तथा स्लग शामिल होते है|
कुछ बड़े मेंढक अन्य छोटे मेंढक तथा छोटी मछलियों को खा जाते है|मेंढक अपने शिकार को पकड़ने के लिए अपने चिपचिपी जीभ का प्रयोग करते है|तथा कुछ मेढ़क आंशिक रूप से शाकाहारी होते है|इस प्रकार यह चक्र चलते रहता है|इस तरह मेढ़क के सामान तितलियों के जीवन चक्र मे भी चार चरण होते है |
मेंढक का व्यवहार
मेढ़को कि बहुत सी प्रजातियों मे पेरेंटिंग केयर (माता -पिता के द्वारा संतानो कि देखभाल) व्यवहार पाये जाते है,तथा उसका देखभाल मेढ़को के विकसित होने तक किया जाता है|