सल्फर-डाईऑक्साइड (SO2) :-
हाल ही में ग्रीनपीस (Greenpeace) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का सबसे बड़ा उत्सर्जक है।
भारत वैश्विक स्तर पर मानवजनित सल्फर-डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन में 15% से अधिक का योगदान देता है।
SO2 के दुष्प्रभाव
यह मनुष्यों, पौधों और जंतुओं के लिये एक विषैली गैस हैइसकी सूक्ष्म सांद्रता मनुष्यों में अस्थमा (Asthama), ब्रोंकाइटिस (Broncitis), एम्फाईसीमा (Emphysema) जैसे रोगों का कारण है।इससे आँखों में जलन होती है तथा आँखे लाल हो जाती हैं।इसकी उच्च सांद्रता फूलों की कलियों को कड़ा कर देती है जिससे कलियाँ गिरने लगती हैं।SO2 उत्सर्जन वायु प्रदूषण का एक महत्त्वपूर्ण कारक है। वायुमंडल में इसकी सांद्रता अधिक होने पर यह सल्फर के ऑक्साइड (SOX) का निर्माण करता है।SOX अन्य यौगिकों के साथ प्रतिक्रिया कर सूक्ष्म कणों का निर्माण करता है जो कि वायु मंडल में Particulate Matter (PM) की मात्रा को बढ़ाता है।
SO2 उत्सर्जन में भारत की स्थिति
भारत के सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का सबसे बड़ा उत्सर्जक होने का प्राथमिक कारण पिछले एक दशक में देश में कोयला आधारित बिजली उत्पादन का विस्तार है।रिपोर्ट के अनुसार, भारत में SO2 का सर्वाधिक उत्सर्जन कोयला आधारित पॉवर प्लांट्स (Thermal Power Plants) द्वारा होता है।भारत में प्रमुख SO2 उत्सर्जन हॉटस्पॉट मध्य प्रदेश में सिंगरौली; तमिलनाडु में नेवेली और चेन्नई; ओडिशा में तलचर एवं झारसुगुड़ा; छत्तीसगढ़ में कोरबा; गुजरात में कच्छ; तेलंगाना में रामागुंडम तथा महाराष्ट्र में चंद्रपुर एवं कोराडी हैं।देश के अधिकांश बिजली संयंत्रों में फ्लू-गैस डिसल्फराइज़ेशन तकनीक (Flue-Gas Desulphurisation-FGD) का अभाव है।
वैश्विक संदर्भ में बात करें तो
रूस, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, सऊदी अरब, भारत, मेक्सिको, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की और सर्बिया में सबसे अधिक SO2 उत्सर्जन हॉटस्पॉट पाए गए हैं।अमेरिका व चीन नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देकर SO2 उत्सर्जन को कम करने की क्षमता प्राप्त कर चुके हैं। चीन ने उत्सर्जन मानकों व प्रवर्तन में सुधार किया है।भारत, सऊदी अरब और ईरान में पॉवर प्लांट व अन्य उद्योगों के कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है। SO2 उत्सर्जन की वैश्विक रैंकिंग में भारत का प्रथम स्थान है क्योंकि यहाँ अधिकतम हॉटस्पॉट हैं।
SO2 के टॉप 5 उत्सर्जक देश
1)भारत, 2) रूस, 3) चीन, 4)मेक्सिको, 5) ईरान
भारत द्वारा SO2 उत्सर्जन को नियंत्रित करने के प्रयास
वर्ष 2015 में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEF&CC) ने कोयला आधारित पॉवर प्लांट द्वारा SO2 उत्सर्जन को कम करने हेतु सभी पॉवर प्लांट में FGD तकनीक के प्रयोग को अनिवार्य किया है।सभी कोयला आधारित पावर प्लांटस को वर्ष 2022 तक FGD तकनीक से युक्त किया जाना है, जबकि दिल्ली-एनसीआर में स्थित पावर प्लांट के लिये यह समय-सीमा वर्ष 2019 है।
FGD जीवाश्म-ईंधन आधारित पावर प्लांट से निष्कासित फ्लू गैसों से साथ ही अन्य प्रक्रियाओं से उत्सर्जित (जैसे कचरा क्षरण आदि ) सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) को पृथक करने की तकनीक है।