वाटर टीडीएस Water TDS
वाटर टीडीएस क्या होता है? What is Water TDS
पानी के संंबध में TDS का फुल फॉर्म होता है-Total Dissolved Solids. इसका हिंदी में मतलब होता है-कुल घुलित लवण। सरल भाषा में कहें तो पानी में घुले हुए अशुद्ध कणों की मात्रा। पानी में स्वाद या कठोरता इन्हीं घुले हुए कणों के कारण होते हैं। ये कण अकार्बनिक लवणों (inorganic salts) के साथ-साथ कुछ मात्रा में जैविक पदार्थ (organic matter) के रूप में भी मौजूद होते हैं।
इन अकार्बनिक लवणों में, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम जैसे धनायन (ations) भी होते हैं और कॉर्बोनेट्स, नाइट्रेट्स, बायकॉर्बोनेट्स, क्लोराइड्स, सल्फेट जैसे ऋणायन (anions) भी शामिल होते हैं। इन कणों की जितनी ज्यादा मात्रा, किसी पानी में मौजूद होगी, उसका टीडीएस स्तर (TDS level) उतना ही ज्यादा होगा। जल में जो स्वाद, रंग या गंध वगैरह इन्हीं से उत्पन्न होते हैं।
पानी में कैसे पहुंचते हैं कठोर कण या अशुद्धियां
अब सवाल यह उठता है कि पानी में ये सारे कण या अशुद्धियां आते कहां से हैं? दरअसल, शुद्ध पानी तो मूल रूप से रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन होता है। लेकिन हमारे घर तक पहुंचने से पहले यह पहाड़ों, नदियों, हवा और जलस्रोतों में मौजूद रसायनों से गुजरकर आता है। इस प्रक्रिया में, जल में तमाम तरह के कण घुल जाते हैं। पानी को शुद्ध करने वाले ट्रीटमेंट प्लांट में इस्तेमाल किए गए रसायन हमारे पानी में मिल सकते हैं। उर्वरक या लवण (salts) युक्त जमीन से गुजरकर आया हुआ पानी भी उसे कठोर बनाता है। पाइप लाइन में क्षरण होने से भी कई तरह के पदार्थ पानी में मिल सकते हैं।
संतुलित मात्रा में टीडीएस उपयोगी होता है
उचित स्तर तक TDS हमारे शरीर के लिए फायदेमंद रहता है। क्योंकि TDS के कारण ही, हमारे शरीर के पोषण (for body nutrition) के लिए आवश्यक खनिज लवण, नमक वगैरह प्राप्त होते हैं। जबकि बहुत ज्यादा स्तर का TDS, शरीर के लिए नुकसानदेह भी है। इस स्तर को नापने के लिए एक पैमाना रखा गया है, जोकि प्रति 10 लाख जल के कणों में मौजूद अशुद्धियों की मात्रा के हिसाब से मापा जाता है। अंग्रेजी में इसे Parts per million (PPM) के नाम से जाना जाता है।
पानी में मिले खनिज पदार्थ जब संतुलित मात्रा में होते हैं तो पानी स्वादिष्ट लगता है और घरेलू कामों में इस्तेमाल लायक भी होता है। लेकिन इनकी बहुत ज्यादा या बहुत कम मात्रा होने से पानी बेस्वाद और अनुपयोगी हो जाता है। संतुलित कठोरता तब होती है, जबकि water TDS 200 से 300 ppm के बीच होता है। ऐसा पानी ही पीने में स्वादिष्ट, मीठा एवं रुचिकर होता है।
वाटर टीडीएस की गणना कैसे होती है?
How TDS of water calculated?
पहला तरीका: पानी के 10 लाख हिस्सों (one million parts) में, घुले हुए कठोर पदार्थों (solids) की जितनी मात्रा होती है, उसे मापकर उसका TDS निर्धारित होता है। इस तरीके में, water TDS को parts per million(ppm) में व्यक्त किया जाता है।
दूसरा तरीका: इसमें, पानी की 1 लीटर मात्रा में, जितने मिलीग्राम ठोस पदार्थ होते हैं, उनके और कुल पानी के अनुपात को water TDS या पानी की कठोरता कहा जाता है। इसे milligrams per liter (mg/L) में व्यक्त किया जाता है।
एक उदाहरण | An Example
मान लेते हैं कि आपके पास 1 Kg पानी है, जिसमें अशुद्धियां (dissolved salts) घुली हुई हैं।
मान लेते हैं कि इसमें 100 mg सोडियम क्लोराइड (NaCl) है और 100 mg कैल्शियम क्लोराइड (CaCl2) मिला हुआ है। इस तरह अशुद्धियों का कुल वजन 200 mg हुआ।
अब चूंकि पानी का वजन 1Kg है, जो कि मिलीग्राम (mg) में होगा 1000×1000= एक मिलियन मिलीग्राम या 10 लाख मिली ग्राम। इस तरह 1 किलोग्राम पानी में 200mg अशुद्धियां होने पर इसका वाटर टीडीएस होगा 200 ppm या 200 mg/L
कितना टीडीएस शरीर के लिए सुरक्षित है
What is safe TDS for drinking water?
200 से 300 ppm (parts per million) वाले पानी को पीने के लिए बढ़िया या आदर्श कहा जा सकता है। लेकिन 500 ppm प्रति लीटर तक की मात्रा भी पीने के लिए सुरक्षित मानी गई है। वैसे, 500 ppm या 500 mg/प्रति लीटर से अधिक कठोर जल को भी पीने में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन, इसका स्वाद अच्छा नहीं लगेगा। ऐसे पानी काे ही खारा पानी कहते हैं।
बहुत कम वाटर टीडीएस भी ठीक नहीं
जिस तरह, बहुत ज्यादा TDS वाला पानी, पीने के लिए अच्छा नहीं होता, उसी प्रकार कम TDS वाला पानी भी, पीने के लिए ठीक नहीं होता। इसलिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी इस संबंध में निर्देश देता है कि पीने का पानी की सप्लाई करने से पहले उसमें समुचित मात्रा में खनिज मिलाए जाएं।
टीडीएस की मात्रा और पानी की गुणवत्ता का संबंध
पानी में TDS की मात्रापानी किस काम के लायक है50 से 250 ppm या इससे भी कमजरूरत से बहुत कम: ऐसा पानी उपयोग में तो ला सकते हैं, लेकिन इसमें स्वास्थ्य के लिए जरूरी कुछ महत्वपूर्ण खनिजों (minerals) की मात्रा, आवश्यकता से कम हैं।300 से 500 ppmएकदम ठीक (Perfect hardness): यह पानी पीने के लायक एकदम ठीक है। खनिजों की संतुलित मात्रा होने से यह स्वास्थ्य के लिए भी ठीक है।600 से 900 ppmजरूरत से ज्यादा कठोर: इस पानी में खनिजों की मात्रा, आवश्यकता से अधिक है। इसे इस्तेमाल के लायक बनाने के लिए RO यानी कि reverse osmosis की मदद लेनी होगी।1000 से 2000 ppmअत्यधिक कठोर: इस पानी में खनिजों की मात्रा जरूरत से बहुत ज्यादा है। यह भी इस्तेमाल करने लायक नहीं2000 ppm से अधिकपूर्णत: असुरक्षित: बेकार पानी, किसी काम लायक नहीं। घरेलू फिल्टर से इसको शुद्ध करना संभव नहींवाटर टीडीएस और पानी की गुणवत्ता का संबंध
किस पानी में कितना टीडीएस होता है?
ताजा पानी (Fresh water): ऐसे पानी में 1,000 mg/L से कम TDS होता हैखारा पानी (Brackish water): ऐसे पानी में 1,000 से 10,000 mg/L के बीच TDS होता हैनुनखरा पानी (Saline water): ऐसे पानी में 10,000 से 35,000 mg/L के बीच TDS होता हैअतिलवणीय पानी (Hypersaline water): ऐसे पानी में 35,000 mg/L से अधिक TDS होता है|
RO कंपनियों के लिए टीडीएस का महत्व?
वाटर प्यूरिफायर्स कंपनियों के लिए भी किसी पानी में TDS की मात्रा जानना जरूरी होता है। ताकि, यह जाना जा सके कि Purifier की मदद से कैसे उस पानी को शुद्ध किया जा सकता है। और वह ऐसा प्यूरिफायर बनाए, जोकि पीने लायक गुणवत्ता वाला पानी सप्लाई कर सके।
अगर पानी 500 ppm से कम कठोरता वाला है तो उसे Normal Water purifier से भी शुद्ध किया जा सकता है। लेकिन, अगर टीडीएस की मात्रा 500 ppm से अधिक है तो सिर्फ RO water purifier से ही शुद्ध किया जा सकता है। क्योंकि, ऐसे पानी से अनावश्यक कठोरताओं को दूर करने की क्षमता Normal Water purifier में नहीं होती।
2000 ppm से ज्यादा TDS होने पर, उसे RO water purifier से भी शुद्ध नहीं किया जा सकता। इसे शुद्ध करने के लिए तो फिर water treatment plant की जरूरत पड़ती है।
आरओ, पानी को शुद्ध कैसे करता है?
Reverse Osmosis System को संक्षेप में ROकहा जाता है। Reverse Osmosis System पानी से दूषित पदार्थों (contaminants) छानकर बाहर कर देता है या हटा देता है। इसमें गैर छने हुए पानी (non filtered water) को प्रेशर डालकर अर्धपारदर्शी झिल्ली (semipermeable membrane) से गुजारा जाता है। इस झिल्ली के छिद्र इतने महीने होते हैं कि उसमें से सिर्फ पानी के अणु (molecules) ही पार जा सकते हैं। दूषित पदार्थों के अणुओं का साइज बड़ा होता है, इसलिए वे इस पार ही रह जाते हैं।
इस प्रकार, सारी अशुद्धियां एक तरफ, रुक जाती हैं और छनकर दूसरी तरफ साफ पीने लायक पानी (clean drinking water) इकट्ठा हो जाता है। लेकिन यह इस मुख्य प्रक्रिया के पहले और बाद में भी कुछ प्रक्रियाएं होती हैं, जिनसे RO, पीने योग्य पानी निकालकर दे पाता है।
RO system में, अर्धपारदर्शी झिल्ली के अलावा sediment filter और carbon filterभी लगे होते हैं। ये दोनों फिल्टर, पानी को अर्धपारदर्शी झिल्ली से गुजारने से पहले उसमें से sediment (मिट्टी की गाद, ,धूल वगैरह) और chlorine वगैरह को छानकर बाहरकर देते हैं। इससे अर्धपारदर्शी झिल्ली को नुकसान कम होता है।
RO System से गुजरने के पहले पानी को छानने की जो प्रक्रिया होती है, उसे Pre-filtration कहते हैं। RO System से गुजरने के बाद जो शुद्धीकरण की प्रक्रिया होती है, उसे Post-filtration कहते हैं। RO की क्वालिटी के अनुसार, उसमें पानी को शुद्ध करने के 3 से 5 चरण (Stage) हो सकते हैं।
जल संचालकता क्या होती है? TDS से इसका क्या संबंध है?
पानी में घुले हुए कठोर पदार्थों के आयनों (Ions) के कारण ही, उसमें बिजली का करंट प्रवाहित होने का गुण होता है। विज्ञान की भाषा में, इस गुण को विद्युत संचालकता (electric conductivity) कहते हैं। किसी पानी में, बिजली के करंट के प्रवाह की गति या विद्युत संचालकता (electric conductivity) के आधार पर उसका TDS मापा जा सकता है। इसे 25 °C पर पानी के Micro-Siemens प्रति सेंटीमीटर के रूप में मापा जाता है।
electrical conductivity को अंतरण फॉर्मूला का प्रयोग करके सीधे water TDS के रूप में बदल सकते हैं। इस विधि से किया गया TDS मापन तुलनात्मक रूप से ज्यादा विश्वसनीय होता है। इस वजह से पानी की electrical conductivity को ही अब दुनिया भर में water TDS मापने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
टीडीएस मीटर में जल संचालकता का इस्तेमाल
TDS meter ऐसा उपकरण होता है जो किसी भी विलयन (solution) में टीडीएस मापने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सामान्य रूप से पानी में TDS मापने के लिए। TDS meter में टीडीएस मापने के लिए उस विलयन पदार्थ की विद्युत संचालकता (electric conductivity) को आधार बनाया जाता है। आजकल अच्छे RO वाटरप्यूरिफायर्स में भी TDS Meter लगा होता है। ये आपके घर में इस्तेमाल होने वाले पानी में TDS की मात्रा दिखाते हैं।
पानी को शुद्ध करने की अन्य तरकीबें
UV water purifier: यूवी वाटर प्योरीफायर का फुल फॉर्म है— ultraviolet waterpurifier। इसमें, पानी में मौजूद विषाणुओं (viruses) और जीवाणुओं (bacterias) को मारकर पानी को पीने लायक बनाने के लिए अल्ट्रा वायलेट किरणों का इस्तेमाल होता है। लेकिन यह सिर्फ सॉफ्ट वाटर को शुद्ध करने के लिए ही इस्तेमाल हो सकता है।
इसकी एक कमी होती है जीवाणुओं को मार तो दिया जाता है, लेकिन उनके मृत अवशेष पानी में ही पड़े रहते हैं। इसके अलावा पानी की कठोरता वाले अन्य पदार्थों जैसे कि क्लोरीन, मिट्टी, भारी धातुओं (cadmium, arsenic, lead, mercury, वगैरह) को भी पानी से अलग नहीं किया जाता। आरओ सिस्टम में कई स्टेज पर फिल्टर होने से इस समस्या का भी समाधान हो जाता है।
UF water purifier : यूएफ वाटर प्यूरिफायर से मतलब है Ultra filtration waterpurifier। इसमें खोखले फाइबर से पिरोई हुई लड़ी वाली झिल्ली होती हैं। इस झिल्ली की मदद से, पानी में मौजूद ठोस व अनावश्यक पदार्थ, पानी से बाहर कर दिए जाते हैं। यह बिजली के बिना भी काम करता है।
इसकी भी एक कमी होती है कि यह, हानिकारक जीवाणुओं और विषाणुओं को खत्म नहीं करता। हालांकि यह इन्हें छान देता है, पर वे उसकी झिल्ली में फंसे रह जाते हैं, जिससे आगे चलकर पानी छनने की रफ्तार धीमी हो जाती है।