मधुमक्खी का जीवन चक्र (Life cycle of honey bee)
मधुमक्खी के बारे मे सामान्य जानकारी :-
यह आर्थोपोडा के अन्तर्गत आने वाले कीड़े प्रजाति के जीव है,जो अपने समुदाय के साथ छत्ते पर निवास करती है,मधुमक्खियों के समूह मे तीन प्रकार की मधुमक्खियांँ होती है:-रानी (अण्डे उत्पादक),श्रमिक (कार्यकर्ता ),ड्रोन (नर) मधुमक्खी|मधुमक्खियों से शहद प्राप्त किया जाता है,शहद प्राप्त करने के लिये इसका व्यपारिक दृष्टिकोण से भी मधुमक्खी पालन किया जाता है|
मधुमक्खी का भोजन क्या है?
रानी मधुमक्खी का भोजन आमतौर पर शाही जेली होता है,तथा अन्य ड्रोन व श्रमिक मधुमक्खियाँ परागकण व शहद के मिश्रण का सेवन करती है,जिसे मधुमक्खी कि रोटी भी कहा जाता है|
मधुमक्खी के जीवन चक्र :-
मधुमक्खी का जीवन चक्र क्या है?
इसका जीवन विभिन्न चरणों से होकर गुजरता है, जिसमे रानी मधुमक्खी के द्वारा अण्डे दिए जाने से लेकर वयस्क अवस्था होने तक के चरण शामिल होते है|
मधुमक्खी का जीवनकाल के चरण :-
मधुमक्खियों का जीवनकाल निम्न चरणों से होकर गुजरता है:-
1.मधुमक्खी का जीवन चक्र का प्रथम अवस्था :- अण्ड (Egg )
रानी मधुमक्खी के द्वारा छत्ते के षट्कोण नुमा कोष्ठो (कोशिकाओं) पर अण्डे दिये जाते है,रानी मधुमक्खी एक दिन मे लगभग 2,000 अण्डे देने मे सक्षम होती है,अण्डे चावल के दाने के आकार के दिखाई देते है, जिसे कोष्ठो मे खड़ा किया जाता है,कोष्ठों को अण्डे रखने के लिए श्रमिक मधुमक्खियों के द्वारा तैयार किया जाता है|
रानी मधुमक्खी के द्वारा निषेचित तथा अनिषेचित अण्डे दिये जाते है,निषेचित अण्डे रानी मधुमक्खी या मादा श्रमिक मधुमक्खी के रूप मे विकसित हो जाते है,रानी मधुमक्खी को विशेष प्रकोष्ठ मे रखा जाता है, तथा श्रमिक मधुमक्खी को छोटे आकार के कोष्ठ मे रखा जाता है|
अनिषेचित अण्डे नर मधुक्खियों मे विकसित हो जाते है,जिसे ड्रोन भी कहा जाता है,इसे श्रमिक मधुमक्खियों कि तुलना मे बड़े कोष्ठो मे रखे जाते है, एवं अण्डे इस चरण मे 3 दिन तक विकसित होते है|
2.मधुमक्खी का जीवन चक्र का द्वितीय अवस्था :- लार्वा (larva)
रानी के द्वारा अण्डे देने के 3 दिन बाद यह लार्वा मे विकसित हो जाते है,तथा बर्फीले सफेद दिखाई देते है,शुरुआती दिनों मे सभी लार्वा को शाही जेली खिलाया जाता है,(शाही जेली मधुमक्खियों के सिर मे विशेष ग्रंथियों और मुँह मे लार ग्रंथियों मे बनाया गया एक विशेष पदार्थ होता है) इसमें प्रोटीन,विटामिन,वसा तथा शर्करा होता है|
अण्डे देने के 6 दिन बाद लार्वा (रानी,नर व कार्यकर्ता मधुमक्खी) मे स्पष्ट अंतर किया जा सकता है|उसके पश्चात केवल रानी मधुमक्खी को शाही जेली खाने के लिए दिया जाता है|(इसका कारण केवल यही होता है,कि छत्त्ते के लिए एक रानी मधुमक्खी तैयार करना जिससे वह अण्डे दे सके)
इस आहार को श्रमिक व नर मधुमक्खी के लिए बंद कर दिया जाता है|(क्योंकि छत्ते मे केवल एक ही रानी कि आवश्यकता होती है) तथा अन्य लार्वा को परागकण व शहद का मिश्रण खिलाया जाता है|
इस अवस्था मे लार्वा अधिक मात्रा मे भोजन ग्रहण करते है,तथा पांच दिनों के भीतर ही लार्वा का आकार लगभग 1570 गुना बड़े हो जाते है|लार्वा मे अंतर स्पष्ट होने के बाद उसको (रानी,ड्रोन,श्रमिक) आधार पर श्रमिक मधुमक्खियों के द्वारा छत्ते के कोष्ठो को मोम कि परत के द्वारा ढक दिया जाता है|
महत्वपूर्ण जानने योग्य तथ्य यह है कि श्रमिक मधुमक्खियों के द्वारा मोम के आवरण से ढके जाने के समय मे अंतर होता है,जो इस प्रकार है :-
• रानी कोष्ठ को प्यूपा मे परिवर्तित होने से 1 दिन पहले या अण्डे देने के 7.5 दिन बाद मोम का आवरण किया जाता है|
• लगभग 9 दिनों के पश्चात श्रमिक कोशिकाओं को मोम से ढका जाता है|
• तथा लगभग 10 दिनों मे प्यूपा मे परिवर्तित होने के थोड़ी देर पहले ड्रोन कोष्ठो को मोम से ढका जाता है|
इस चरण मे रानी मधुमक्खी 5.5 दिन,कार्यकर्ता मधुमक्खी 6 दिन तथा ड्रोन मधुमक्खी 6.5 दिन तक विकसित होने के पश्चात दूसरे चरण मे प्रवेश करते है|
3.मधुमक्खी का जीवन चक्र का तृतीय अवस्था :- प्यूपा (pupa)
इस अवस्था मे मोम के आवरण से ढकने के बाद लार्वा अपने शरीर के चारो ओर जेली का आवरण बनाता है, जिसके अंदर वह सुरक्षित रहता है|इसके दौरान लार्वा मे शरीर के विभिन्न भाग जैसे सिर,आँख,वक्ष,पंख,पैर विकसित होने लगते है|
यह चरण आमतौर पर रानी मधुमक्खी के लिए 7.5 दिन ड्रोन मधुमक्खियाँ का 12 दिन तथा श्रमिक मधुमक्खियों के लिए 14.5 दिनों तक रहता है|
4.मधुमक्खी का जीवन चक्र का चतुर्थ अवस्था :- वयस्क (Adult) :-
इस अवस्था मे इसका शरीर पूर्ण विकसित हो चुका होता है,इसमे रानी मधुमक्खी अण्डे देने के लिए परिपक्व हो चुकी होती है|
एक समुदाय मे लगभग 50,000 से 60,000 श्रमिक मधुमक्खी 600 से 1000 ड्रोन मधुमक्खी तथा केवल एक रानी मधुमक्खी होती है|
अण्डे से वयस्क अवस्था तक विकास होने मे लगा समयावधि :-
रानी : 16 दिन, ड्रोन :21 दिन, श्रमिक :24 दिन
मधुमक्खी के व्यवहार तथा कार्य :-
इनका अपना अपना विशेष कार्य होता है,कार्यकर्ता मधुमक्खियों का मुख्य कार्य फूलों के मकरंद से शहद उत्पादन करना है,
*रानी मधुमक्खी :-
यह दूसरे मधुमक्खियों से सबसे बड़ी व चमकीली होती है,इसे समूह मे आसानी से पहचाना जा सकता है,यही वास्तव मे पूर्ण विकसित मादा होती है,यह लगभग 5 साल तक जीवित रह सकती है,यह अपने जीवनकाल मे केवल अण्डे देने का काम करती है|
रानी मधुमक्खी विकसित होने के पश्चात मोम के आवरण से बाहर आते ही अन्य विकसित हो रहे रानी मधुमक्खी के लार्वा को ढूंढ कर उसे नष्ट कर देती है, और दूसरे विकसित हो चुके रानी मधुमक्खी से तब तक लड़ती है,जब तक उनमे से कोई एक मर न जाये|
*नर (ड्रोन) मधुमक्खी :-
इसका शरीर श्रमिक तथा रानी मधुमक्खी कि तुलना मे अधिक मोटे व मजबूत होते है,परन्तु लम्बाई मे छोटे होते है, इसका आयु लगभग 57 दिनों का होता है,इसमें डंक,पराग व मकरंद एकत्रित करने के लिए अंग व मोम ग्रंथिया नही पाया जाता है|
वातावरणीय अनुकूलन तथा प्रजनन काल के अनुसार इनकी संख्या घटती-बढ़ती रहती है,इसका कार्य केवल रानी मधुमक्खी का गर्भाधान करना है |
*श्रमिक मधुमक्खी :-
यह मादा मधुमक्खियाँ ही होती है,लेकिन इसके अंग पूर्ण रूप से विकसित नही होते है,यह श्रमिक कोष्ठ से विकसित हुए होते है|यह संख्या मे अधिक होते है, तथा इसका मुख्य काम फूलों के मकरंद को इकट्ठा करके शहद बनाना होता है|
इसके आलावा यह छत्ते का निर्माण करती है,तथा अण्डे के लिए कोष्ठो को तैयार करती है|इस मधुमक्खियों मे मातृत्व कि भावना बहुत अधिक होती है,इसकी सारी ज्ञानेन्द्रियाँ विकसित होती है,यह अण्डे-बच्चों का देखभाल करती है|
इसके उदर के अंतिम सिरे पर आरी के समान डंक होता है,जिसे यह अपनी तथा अपने कालोनी कि बचाव के लिए उपयोग मे लाती है|श्रमिक मधुमक्खियाँ अपने डंक का उपयोग करने के बाद मर जाती है,इसलिए यह अपनी डंक का उपयोग बहुत ज्यादा मजबूरी आने पर ही करती है |