मकड़ी का जीवन चक्र| (life cycle of spider)
* मकड़ी के बारे में सामान्य जानकारी:-
मकड़ी आर्थोपोडा संघ का एक प्राणी है|मकड़ियों को अरेक्निड्स (arachnids) भी कहा जाता है,इसका शरीर दो खंड क्रमशः शिरोवक्ष (cephalothorax) व उदर में बँटा रहता है|इसकी लगभग 40,000 प्रजातियों की पहचान हो चुकी है|मकड़ी की आठ आंखें होती हैं,इसके शिरोवक्ष से चार जोड़े में (आठ संयुक्त) पैर लगे रहते है,इसके पेट में एक थैली होती है,जिससे एक चिपचिपा पदार्थ निकलता है,जिसे रेशम कहा जाता है,जिससे यह जाल बुनता है|रेशम एक तरल पदार्थ के रूप में बाहर आता है,लेकिन हवा के संपर्क में आने पर यह कठोर हो जाता है|मकड़ी के जाले में रेशम एक स्टील की स्ट्रैंड की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक मजबूत होता है|
कुछ मकड़ियां सात प्रकार के रेशम तक बना सकते हैं:-जैसे चिकना,चिपचिपा,फैला हुआ आदि|एक जाल को बनाने के लिए औसतन मकड़ी को लगभग 60 मिनट लगते हैं|मकड़ियों की प्रजाति में मादा मकड़ी प्रभावी होती है,मादा मकड़िया आमतौर पर नर की तुलना में बड़ी होती हैं,और यह मजबूत और अधिक जहरीली भी हो सकती हैं|
* मकड़ियों का आवास क्या है?[What is the habitat of spiders?]
मकड़ियों का निवास व्यापक रूप से भिन्न होते हैं|अंटार्कटिका को छोड़कर यह दुनिया में कहीं भी रह सकते हैं|यह लगभग किसी भी प्रकार के पर्यावरण के लिए अनुकूल हो सकते हैं:-जैसे गर्म या ठंडा,गीला या सूखा,बगीचे में या घरों में आदि|
* मकड़ी का आकार [size of spider] :-
विभिन्न प्रजातियों के मकड़ियों के आकार और रंग में भिन्नता पायी जाती है|सबसे बड़े और सबसे भारी टारेंटुला (tarantula) प्रजाति कि मकड़ियाँ होती हैं,जिसके शरीर की लंबाई लगभग 90 मिमी (3.5 इंच) और पैर की लंबाई 250 मिमी (9.8 इंच) तक हो सकती है|तथा सबसे छोटा पातु डिगुआ (patu digua) प्रजाति कि मकड़ियां होती है,जिनके शरीर की लंबाई लगभग 0.37 मिमी (0.015 इंच) से भी कम हो सकती है|
* मकड़ी का भोजन [food of spider] :-
यह मांसाहारी जन्तु है,अपने मकड़ी के जाल में कीड़े-मकोड़ों को फंसाकर पोषण के रूप में ग्रहण करते है,मकड़ी कीट मक्खियों को आकर्षित करने के लिये एक विशिष्ट रसायन फेरोमेन (phermone) का स्त्राव करते हैं,(तथा यह रसायन विपरीत लिंग को आकर्षित करने का भी कार्य करता है,) और शिकार को अपने सामने के पैरों कि मदद से पकड़ते हैं|अरेक्निड्स आमतौर पर कीड़े- मकोड़ों के साथ-साथ अन्य खाद्य पदार्थों में मच्छरों,चीटियों व कीट-पतंगे भी शामिल हैं|विभिन्न प्रजातियों के अरेक्निड्स मृत आर्थ्रोपोड्स (scavenger) व स्वयं के बाह्य कंकाल (exoskeleton) को भी खा जाते है|मकड़ियां अपने शिकार को नहीं खाते क्योंकि उनके मुंह छोटे होते हैं,इसके बजाय वे उसके शरीर को तरल में बदलने के लिए विशिष्ट रसायनों को शिकार में डालते हैं,फिर मकड़ी उसे चूस लेती है|मकड़ियों के लिये चिपचिपे जाल के माध्यम से शिकार को पकड़ना सबसे आसान होता है|
मकड़ियों की विभिन्न प्रजातियां भोजन के बिना भी लम्बे रहने तक जीवित रह सकता है|लेकिन इनका समय अवधि अलग-अलग हो सकता है|बड़ी प्रजातियां छोटी प्रजातियों की तुलना में भोजन के बिना लंबे समय तक जीवित रह सकती हैं,सामान्य तौर पर वे भोजन के बिना 30-60 दिनों तक रह सकते हैं|
* मकड़ी का जीवन चक्र [life cycle of spider]:-
* मकड़ी का जीवन चक्र क्या है?[what is life cycle of spider] :-
जैविक परिवर्तनों और विकास का क्रम जिसमे एक मकड़ी अपने पूरी जीवन से गुजरती है,जो अण्ड प्रावस्था से शुरू होकर अंत में अपने वयस्क अवस्था तक पहुंच जाती है,इसे ही मकड़ी का जीवन चक्र कहा जाता है|
* मकड़ी के जीवन काल के चरण [Stages of spider life cycle]:-
इसका जीवन चक्र तीन चरणों से होकर गुजरता है:-
अण्ड प्रावस्थास्पाइडरलिंग अपरिपक्व अवस्थावयस्क अवस्था
प्रत्येक चरण का विवरण एक प्रजाति का दूसरे प्रजातियों से भिन्न होता है,सभी प्रजातियों के मकड़ी चाहे वह सबसे बड़े टारेंटुला हो या सबसे छोटी पातु डिगुआ सभी मकड़ियों का जीवन चक्र कि अवस्था एक सामान होता है|
1.अण्ड [Egg]:-
यह पहला चरण है,प्रजातियों के आधार पर मादा मकड़ी लगभग 3,000 अंडे तक देती हैं,मादा मकड़ी पहले मजबूत रेशम से एक अंडे की थैली का निर्माण करती है|
अंडों को एक या एक से अधिक मजबूत रेशम कि थैलियों में रखे जाते हैं|यह थैलियाँ आमतौर पर सफेद होती है,और वह अपने अंडों को इसके अंदर जमा करती है,जिसे वह सुरक्षा के लिए जाल से जोड़ देती हैं|कभी-कभी मादा मकड़ी अपनी पीठ या मुंह पर थैली को रखती है,तथा कभी-कभी वह थैली को चट्टान के नीचे छिपा देती है,तथा उसके सुरक्षा के लिए उसे जाल से जोड़ देती हैं|कुछ मकड़ी प्रजातियों में मादा अंडे देने तथा अंडा थैली के निर्माण करने के बाद मर जाती है,जबकि अन्य प्रजातियों में मादा मकड़ी द्वारा अंडों कि देखभाल व सुरक्षा कि जाती है|
अंडे की थैलीयों को विभिन्न पक्षियों और चींटियों जैसे शिकारियों से सुरक्षा के लिये बनायी जाती है,तथा अण्डे रेशम कि थैली के अंदर ही विकसित होते है,व मकड़ी के अंडे इस अवस्था पर कुछ सप्ताह तक विकसित होते है|इस अवस्था में वातावरणीय व विभिन्न परिस्थितियों के कारण अधिकांश अण्डे नस्ट हो जाते है,जिसके कारण सभी अण्डे परिपक्वता तक नहीं पहुंच पाते|तथा बाक़ी बचे हुए अण्डे इस अवस्था में विकसित होकर दूसरे चरण में प्रवेश करते है|
2.स्पाइडरलिंग अपरिपक्व(spiderling):-
यदि परिस्थितियाँ अनुकूल हों (जैसे कि वसंत या गर्मी के दौरान जब तापमान गर्म होता है,और नमी बहुत कम होती है) तो अंडे कुछ ही हफ्तों में थैलियों से बाहर आ जाते है,इसे ही स्पाइडरलिंग कहा जाता है|स्पाइडरलिंग वयस्क मकड़ी के सामान दिखायी देते हैं,लेकिन जब वे थैली से निकलते हैं,तो काफी छोटे होते हैं|
रेशम (कोकून) कि थैली से बाहर निकलते अपरिपक्व स्पाइडरलिंग अंडे की थैली के बाहर कि ओर तब तक लटके रहते है,जब तक कि वे अपना पहला निर्मोचन (molt) [शरीर का कोई भाग समय-समय पर निकालते रहने कि क्रिया molt कहलाता है] खत्म नहीं कर लेते|
जैसे-जैसे वे विकसित होते जाते हैं,वैसे-वैसे ये अपने बाह्य कंकाल (exoskeleton) का कई बार निर्मोचन (molt) करते जाते हैं,और नए बाह्य कंकाल के निर्माण करने तक वे कमजोर रहते हैं|अधिकांश प्रजातियां 5 से 10 निर्मोचन के बाद वयस्कता तक पहुंचते हैं|पुराने बाह्य कंकाल के नीचे एक नया बड़ा बाह्य कंकाल विकसित होता है,तथा सबसे पहला मोल्ट नरम होता है,तथा यह अपरिपक्व मकड़ी की रक्षा करता है|
मादा मकड़ियां हमेशा नर की तुलना में बड़े होते हैं, इसलिए इसे परिपक्व होने में अधिक समय लगता है| इस प्रकार यह वयस्क मकड़ियों में विकसित होते जाते हैं|
3.वयस्क अवस्था (Adult stage):-
मकड़ी का अंतिम चरण वयस्क अवस्था है| जब मकड़ी वयस्कता तक पहुंच जाती है,तो यह फिर से जीवन चक्र शुरू करने के लिये तैयार है| मकड़ी का विशिष्ट रंग या चिह्न नहीं होता हैं,वे काले,भूरे रंग के होते हैं,मादा मकड़ियां नर से अधिक समय तक जीवित रहती है| लेकिन नर संभोग के बाद ही मर जाते हैं| शिकार कि खोज में वयस्क मकड़ी विचरण करती हुई
घर में पाये जाने वाले मकड़ी केवल 1 से 2 साल तक जीवित रहते हैं,तथा टारेंटुला का जीवन काल 20 साल या उससे अधिक होता हैं|टारेंटुला के अंतर्गत मायगलोमॉर्फ प्रजाति कि मादा मकड़ी 25 साल तक जीवित रह सकती है,लेकिन अधिकांश प्रजाति कि मकड़ियां केवल एक मौसम के लिए जीवित रहती है|
मकड़ी कभी-कभी अपने जाले में ही मर जाती है,वयस्क मकड़ियां सर्दियों से पहले अपने अंडे देती हैं,वयस्क मकड़ियां शिकार करने के लिए जाले का निर्माण करते है,कुछ मादा मकड़ियाँ अपने युवा की देखभाल करती हैं|मकड़ियाँ उड़ नहीं सकती लेकिन जाले कि मदद से हवा में कई मीटर तक तैर सकती है,इसे ही बैलूनिंग (ballooning) कहा जाता है|मकड़ी अपने जाले से चिपकी रहती है,जिससे वह नीचे गिरने से बच जाती है,तथा जाले कि सहारे से वापस ऊपर कि ओर चढ़ जाती है,इसे dragline कहते है|
मकड़ियों का रक्त नीला होता है|क्योंकि मकड़ियों के रक्त में ऑक्सीजन के साथ तांबा उपस्थित होता है, जो उनके रक्त को नीला रंग देता है|
मकड़ी का व्यवहार व उनके कार्य:-
मकड़ी का विष (poison of spider):-
अधिकांश मकड़ियों में विष ग्रंथियां पायी जाती है,ग्रंथियाँ कवच के नीचे स्थित होती हैं|जहर की नलिकाएं फैली होती हैं,तथा यह नुकीले हिस्सों के पास खुलती हैं|वे प्रभावी रूप से शिकार को वश में करते हैं,और कुछ प्रजातियों के जहर शिकारियों के विरुद्ध प्रभावी होते हैं,जिनमें कशेरुक भी शामिल हैं|
मकड़ी अपनी रक्षा कैसे करती है:-
कई मकड़ी की प्रजाति रंगीन होती है,तथा कुछ के शरीर में धारियां और धब्बे होते हैं,जिससे शिकारियों के लिए इन प्रजातियों को पहचानना अधिक कठिन हो जाता है,जिससे इसकी रक्षा हो जाती है|
क्या सभी मकड़ी का काटना घातक होता हैं:-
कुछ प्रजातियां ही खतरनाक होती हैं,अरेक्निड्स केवल आत्मरक्षा में मनुष्यों को काटेंगे और कुछ मकड़िया मच्छर व मधुमक्खी के डंक से भी बुरा प्रभाव डालते है|ऑस्ट्रेलियाई फनल वेब (funnel web) को विष के विषाक्तता के आधार पर दुनिया के सबसे खतरनाक मकड़ियों के रूप में माना जाता है|